
इस वर्तमान समय में कोई भी व्यक्ति सोशल मीडिया से दूर नहीं है। सभी लोग किसी ना किसी प्रकार से सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे है। ऐसा माना जाए, आज के समय में सोशल मीडिया हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, ट्विटर, और अब रील्स व शॉर्ट्स जैसे प्लेटफॉर्म्स ने हमें हर समय और हर जगह एक-दूसरे से जोड़े रखा है। साथ ही अपनों से दूर भी करता जा रहा है । साथ रह कर भी लोग सोशल मीडिया में खोये रहते हैं। उसके आस पास क्या हो रहा है, इसकी भी कोई जानकारी नहीं रहती है।
हालाँकि, कुछ दिन बाद या अगले दिन सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें जानकारी मिलती है, जो घटना कुछ दिन पहले उनके सामने घटित हुई थी, लेकिन सोशल मीडिया में खोए रहने के कारण उन्हें जानकारी नहीं मिल पायी थी। इसके कारण अपने रिश्ते से भी दूर होते जा रहे है, पास होने के बाद भी सोशल मीडिया के माध्यम से बात किया जा रहा है।
वही इसे दो पहलू में देखा जा सकता है।
- सकारात्मक
- नकारात्मक
पहले हम इसके सकारात्मक पहलू पर बात करते है।
अभी किसी ना किसी कार्य से लोग अपने घर परिवार से दूर रह कर नौकरी करते है या पढ़ाई कर रहे है। जो पहले अपने परिवार का हालचाल जानने के लिए घर आना पड़ता था या किसी व्यक्ति का सहारा लेना पड़ता था। लेकिन इन दिनों परिवार और दोस्तों से दूर रहने वाले लोग सोशल मीडिया के जरिए जुड़े रहते हैं। कॉल, वीडियो चैट और मैसेजिंग के माध्यम से आसानी से एक दूसरे से बात कर सकते है।
साथ ही सोशल मीडिया के मध्यम से आसनी से आपने विचारों और सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकते है। खासकर फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, ट्विटर आदि के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपनी बात रख सकता है और अपना अनुभव और जानकारी साझा कर सकता है। जिस पर अपनी प्रतिक्रिया भी साझा कर सकता है।
इसके साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से लोग अपने व्यवसाय का प्रचार और प्रसार भी कर रहे है। विभिन्न तरीके को अपना कर अपना आय बढ़ा रहे है। वहीं, सोशल मीडिया ने छोटे व्यापारियों, कलाकारों और कॉन्टेंट क्रिएटर्स को पहचान दी है। आज एक अकेला व्यक्ति भी अपना हुनर और कला दिखा कर लाखों लोगों तक पहुँचा कर अच्छी राशि कमा रहे है।
वहीं अगर नकारात्मक पहलू पर बात करे तो –
सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के कारण लोगो के बीच कि दूरिया लगातार बढ़ती जा रही है। लोगो के बीच असली रिश्तों की गहराई दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। घर में एक साथ रह कर भी एक दूसरे से बात नहीं कर पा रहे है। इस युग में अब लोग पास बैठकर भी मोबाइल में डूबे रहते हैं। दिल से बात करने के बजाय अब “रीएक्ट” और “लाइक” ही जुड़ाव के साधन बन गए हैं।
वही अब लोग भी हर छोटी इवेंट या उत्साह को सोशल मीडिया पर बता रहे है। उधर ही उस पर बात कर रहे है। एक-दूसरे से मिलने को लेकर भी वीडियो कॉल का सहारा ले रहे है। जिसके कारण लोग अपनी ज़िंदगी का केवल ‘परफेक्ट’ हिस्सा पोस्ट करते हैं, जिससे दूसरों को लगता है कि उनकी ज़िंदगी कमतर है। इससे तनाव, चिंता और आत्मसम्मान में गिरावट आती है।
साथ ही किशोरों और युवाओं के लिए ट्रोलिंग, और साइबरबुलीइंग ने सोशल मीडिया को कई बार एक जहरीला स्थान बना दिया है। अभी देखे तो जाति, धर्म और क्षेत्र के नाम पर एक दूसरे को गाली दे रहे है। लोग भी अब अपना अधिक समय सोशल मीडिया पर बीता रहे है। जिसके कारण अत्यधिक स्क्रीन टाइम, नींद की कमी, और निरंतर डिजिटल प्रेशर से तनाव, डिप्रेशन, और अकेलेपन की समस्याएँ बढ़ रही हैं।
निष्कर्ष
इस युग में लोग सोशल मीडिया का बहुत उपयोग कर रहे है। लेकिन इस दौर में हम सोशल मीडिया का ‘स्मार्ट यूज़र’ बनें — ना कि उसका गुलाम। क्योंकि सोशल मीडिया एक दो धारी तलवार है। यह हमें जोड़ भी रहा है और तोड़ भी रहा है। यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि हम इसका इस्तेमाल कैसे करते हैं।
लेकिन लोगों की निर्भारता भी इस पर बढ़ती जा रही है। इससे बचना चाहिए। यदि हम संतुलन बनाए रखें, सीमित और सोच-समझकर इसका उपयोग करें, तो यह एक वरदान है। लेकिन यदि हम इसमें खो जाएँ, तो यह हमें अंदर से धीरे-धीरे तोड़ भी सकता है।
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